शास्त्र वैदिक शाखाएं वैद्युतमुद्रण वैधता वैनेडियम बैमानिक आक्रमण वैयक्तिक विधि वैशे
2.
वैयक्तिक विधि की वह प्रणाली भारत में वारेन हेस्टिग्ज ने प्रारंभ की थी।
3.
वैयक्तिक विधि को केवल विशेष विषयों, जैसे दाय, विवाह, जाति और धार्मिक विधिसूत्रों तक ही सीमित रखा गया था।
4.
इसी प्रकार शनै:-शनै: वैयक्तिक विधि के संबंध में अंग्रेजी के प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा रचित कई अन्य उत्तम पुस्तकें सामने आई।
5.
विधि या कानून को वैयक्तिक विधि (Personal law) और प्रादेशिक विधि-इन दो प्रवर्गों में विभक्त किया जा सकता है।
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इससे यह भी प्रकट होता है कि वैयक्तिक विधि के अन्तर्गत परिवार की परिभाषा को इस विधि व्यवस्था में लागू नहीं किया जा सकता है।
7.
वैयक्तिक विधि से तात्पर्य उस विधि से है जो केवल किसी व्यक्तिविशेष अथवा व्यक्तियों के वर्ग पर लागू हो चाहे वे व्यक्ति कहीं पर भी रहते हों।
8.
जहाँ तक उनपर उनकी वैयक्तिक विधि के लागू किए जाने का संबंध था, यह बात पूरी तरह से स्पष्ट नहीं थी कि इन विभिन्न संप्रदायों की क्या स्थिति रहेगी।
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जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उ. प्र. अधिनियम संख्या 13/1972 की धारा 3 (ए) व (जी) की व्याख्या करते हुए अवधारित किया है कि उपरोक्त धारा वैयक्तिक विधि से संबंधित नहीं है और न ही संयुक्त सहभागीय परिवार से संबंधित है।
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हेस्टिंग्ज की 1772 की व्यवस्था को, जिसमें हिंदुओं तथा मुसलमानों के लिए वैयक्तिक विधि विहित की गई थी, केवल अंग्रेज न्यायाधीशों की सहायता से कार्यरूप देना असंभव हो जाता क्योंकि वे भारतीय भाषाओं, भारतीयों के अभ्यासों और उनकी रूढ़ियों से अपरिचित थे और उन्हें इन विधियों का कोई ज्ञान नहीं था।